ज़िंदगी तेरी हसरतों से खफा कैसे हो,
तुझे भूल जाने की खता कैसे हो,
रूह बनकर समा गए हो हम में,
तो रूह फिर जिस्म से जुदा कैसे हो।
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ज़िंदगी तेरी हसरतों से खफा कैसे हो,
तुझे भूल जाने की खता कैसे हो,
रूह बनकर समा गए हो हम में,
तो रूह फिर जिस्म से जुदा कैसे हो।
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