ऐ मोहब्बत तू शर्म से डूब मर, तू एक शख्स को मेरा ना कर सकी।
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Ai Mohabbat Tu Sharm Se Doob Mar, Tu Ek Shakhs Ko Mera Na Kar Saki.
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तूने हसीन से हसीन चेहरों को उदास किया है, ए इश्क अगर तू इन्सान होता तो तेरी खैर नहीं होती।
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Tune Haseen Se Haseen Chehron Ko Udaas Kiya Hai, Ai Ishq Agar Tu Insan Hota To Teri Khair Nahin Hoti.
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सुनो ना हम पर मोहब्बत नही आती तुम्हें, ऐ मेरे सनम रहम तो आता ही होगा?
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Suno Na Ham Par Mohabbat Nahi Aati Tumhen, Ai Mere Sanam Raham To Aata Hi Hoga?
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कितना अजीब है लोगों का अंदाज़-ए-मोहब्बत रोज़ एक नया ज़ख्म देकर कहते हैं अपना ख्याल रखना।
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Hai Logon Ka Andaaz-E-Mohabbat Roz Ek Naya Zakhm Dekar Kahte Hai Apna Khyaal Rakhna.
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खबर मरने की जब आये, तो यह न समझना हम दगाबाज थे, किस्मत ने गम इतने दिए, बस ज़रा से परेशान थे।
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Khabar Marne Ki Jab Aaye To Yeh Na Samajhna Hum Dagebaaz The.. Kismat Ne Gum Itne Diye, Bas Zara Se Pareshan The..
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