क्यूँ शर्मिंदा करते हो हाल हमारा पूँछ कर, हाल हमारा वही है, जो तुमने बना रखा हैं।
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Kyun Sharminda Karte Ho Haal Humara Puchh Kar, Haal Humara Wahi Hai Jo Tumne Bana Rakha Hai.
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असल मोहब्बत तो वो, पहली ही मोहब्बत थी, इसके बाद तो हर शख्स में, सिर्फ उसी को ढूँढा है।
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Asal Mohabbat Toh Woh, Pahli Hi Mohabbat Thi, Iske Baad To Har Shakhs Mein, Sirf Usi Ko Dhoondha Hai.
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वो जो लकीरों में लिखे नहीं होते, उन्हीं की जुस्तज़ू को इश्क़ कहते हैं।
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Vo Jo Lakeeron Mein Likhe Nahin Hote, Unheen Kee Justazoo Ko Ishq Kahate Hain.
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इस इश्क की परवाह में, हम तन्हा हो गये, सही कहते थे लोग, मोहब्बत तनहा कर जाती है।
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Iss Ishq Ki Parwah Mein, Hum Akele Ho Gaye, Sach Kehte Hain Log, Mohabbat Tanha Kar Jati Hai.
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जिसे भी देखा रोते हुए पाया मैंने, मुझे तो ये मोहब्बत, किसी फ़कीर की बद्दुआ लगती है।
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Jise Bhi Dekha Rote Huye Paya Maine, Mujhe To Ye Mohabbat, Kisi Faqir Ki Bad-dua Lagti Hai.
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